यह घटनाएं बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान के बाद सामने आई हैं:
9 नवंबर 2025 को समस्तीपुर में सड़क किनारे बड़ी संख्या में VVPAT पर्चियां मिलीं।
जांच में स्पष्ट हुआ कि ये मॉक पोल यानी प्रायोगिक मतदान की पर्चियां थीं।
चुनाव आयोग ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए संबंधित अधिकारी को निलंबित कर दिया।
10 नवंबर 2025 को सिवान शहर के मौली के बथान स्थित एक खाली प्लॉट में VVPAT पर्चियां पाई गईं।
ये पर्चियां महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र की बताई जा रही हैं।
स्थानीय लोगों ने गड़बड़ी की आशंका जताई और भारी संख्या में मौके पर जमा हो गए।
प्रशासनिक टीम, जिसमें सदर एसडीओ आशुतोष कुमार गुप्ता और एसडीपीओ अजय कुमार सिंह शामिल थे, मौके पर पहुंची।
अधिकारियों ने पर्चियों को कब्जे में लेने की कोशिश की, लेकिन ग्रामीणों ने विरोध किया।
आरजेडी ने इस घटना को लेकर चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने मांग की है कि आयोग इस पर स्पष्टीकरण दे और दोषियों पर कार्रवाई करे।
VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) एक प्रणाली है जो वोटर को यह पुष्टि करने का मौका देती है कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है।
यह पारदर्शिता और विश्वास बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती है।
इन घटनाओं ने बिहार चुनाव की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अगर ये पर्चियां मॉक पोल की थीं, तो भी उनका खुले में मिलना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। वहीं, अगर ये असली मतदान की पर्चियां हैं, तो यह और भी गंभीर मामला बन जाता है।